



Online Retreats
Experience inner transformation from the comfort of your home through our online Sanjeevani Retreats held on Zoom. These thoughtfully curated sessions are designed to reconnect you with peace, purpose, and spiritual strength. Led by experienced facilitators and meditation practitioners, each retreat offers powerful insights, guided practices, and interactive reflections to elevate your consciousness and mental clarity.
You’ll be joining a global community of like-minded individuals, all seeking deeper meaning, balance, and joy in life. Together, we create a safe, nurturing space for learning and growth — no matter where you are in the world.

पहला सत्र: विषय: मानसिकता (Mindsets)
इस सत्र में, हम इस भौतिक दुनिया के प्रति, अपने दृष्टिकोण के आधार पर ‘सुरक्षित (Secured)’ या ‘असुरक्षित (Insecure)’ मानसिकता के विकल्पों को देखते हैं। जब हम इस दुनिया को, अतिथि (Guest) के दृष्टिकोण से देखते हैं, तो स्वतःता का अनुभव होता है। स्वाभाविकता के इस रहस्यमयी को हमेशा याद रखना है कि हम निकले (exit) हैं।

दूसरा सत्र: झ्रामा (Drama)
जब हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बड़ी तस्वीर पर विचार करते हैं, तो इसे शेक्सपियर के कहने अनुसार, इस रूप में देखा जा सकता है, “सारी दुनिया एक मंच है।” इस सत्र में हम मंच से परे की दृष्टिकोण रखते हैं।

तीसरा सत्र: अहंकार (Ego)
इस सत्र में हम अहंकार के दृष्टिकोण से आत्म-संवेदन को पहचानते हैं, या दूसरे शब्दों में कहें तो, देह अभिमान के जाल में फंस जाने वाले आत्मा की यात्रा पर आधारित है, यह देह अभिमान में ‘मन’ स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करता, और इससे बहुत दुखों का कारण बनता है।

चौथा सत्र: आंतरिक राज्य (मन, बुद्धि और संस्कार)
इस सत्र में हमारा आंतरिक साम्राज्य कैसे कार्य करता है, इस पर अंतर्दृष्टि डालेंगे। हमारे मन, बुद्धि और संस्कार का क्या कनेक्शन है? इनसे तरह से, हमारे जीवन पर प्रभाव डालती हैं, यह स्पष्ट होगा।

पांचवा सत्र: माया और रावण (Maya and Ravan)
यह कहने की संभावना है कि ध्यान अभ्यास और मेडिटेशन के लाभों की खोज के दौरान कई भी इसका उपयोग नहीं करते क्योंकि अच्छी आत्मा नहीं रखी जाती। इस सत्र में हम समझते हैं की कैसे प्राचीन मूल्यों और सिद्धांतों को ‘आंतरिक रावण’ से चुनौती मिलती है, जो आज के जीवन की वास्तविकताओं को दर्शाती है।

छठा सत्र: कर्म सिद्धांत (Law of Karma)
हमारे कर्मों का परिणाम हमारे चेतना के स्तर पर पोजिशन (स्थिति) तय करता है। अच्छे और गलत फलस्वरूप, हमें अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए। इस सत्र में हम सही दृष्टिकोण को अपनाने, कर्मों की गति को समझने और आत्मा की स्थिति को सुदृढ़ करने के सिद्धांतों को अमल में लाते हैं।

सातवा सत्र: भगवान (God)
इस सत्र में आंतरिक देखने में, हमसे एक परम शक्ति के साथ हमारे संबंधों को देखेंगे। यह सत्र हमें यह अनुभव कराएगा कि उस आत्म-आधारित चेतना में भगवान के साथ गहराई से चर्चाएं कैसे होती हैं।